दिल्ली की शहरी खेती में विविधता: कौन, क्या और किधर
To read this booklet in English, please click here.
देश की राजधानी दिल्ली देश का सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र है जहाँ हर एकड़ में औसतन 50 इंसान रहते हैं। योजना बनाने वालों की राय है कि इस महानगर और इसकी आबादी को निकट भविष्य में और तेजी से फैलते जाना है। बढ़ते शहर के साथ यहाँ के निवासियों के लिए भोजन की जरूरतें भी बढ़ी हैं। वैसे तो संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकारों की घोषणा में भोजन का अधिकार भी एक अधिकार माना गया है, सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल में भी 2030 तक दुनिया से भूख को ख़तम करने का लक्ष्य घोषित किया गया है और भारत में भी खाद्य सुरक्षा के लिए एक पूरा कानून बनाया गया है लेकिन गुणवत्ता और मात्रा- इन दोनों ही नजरियों से देश की राजधानी में भोजन की स्थिति कुछ ख़ास अच्छी नहीं है। सभी को पौष्टिक, संतुलित और विविधतापूर्ण भोजन भरपूर मात्रा में मिल सके तभी ये कहा जा सकता है कि किसी समाज ने ‘खाद्य सुरक्षा’ हासिल कर ली।
दिल्ली का खाना जिन राज्यों से आता है वे सब खुद ही पानी (ख़ासकर भूमिगत पानी) की कमी के संकट से जूझ रहे हैं तो एक तरह से वहाँ पनप रहे जल और जलवायु संकट में दिल्ली की आबादी का बड़ा योगदान है। साथ ही साथ जलवायु संकट के गहराने से लम्बी-लम्बी सप्लाई चेन वाली दिल्ली की खाद्य आपूर्ति प्रणाली के बिगड़ने का भी खतरा गहराने लगा है।
अनु रामास्वामी और उनके साथ के शोधकर्ताओं (2017) ने दिल्ली की भोजन, ऊर्जा और पानी की जरूरतों पर अपने शोध में ये दर्शाया है कि दिल्ली में सालाना लगभग 90 लाख टन भोजन की माँग है जिसका सिर्फ 10 प्रतिशत हिस्सा ही दिल्ली में पैदा होता है जबकि 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा पड़ोसी राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आता है। लेकिन कुछ सामग्रियों जैसे सब्जियों (लगभग 15 प्रतिशत), मीट (लगभग 60 प्रतिशत) और दूध (लगभग 25 प्रतिशत) की मौजूदा जरूरतों का अच्छा-ख़ासा हिस्सा दिल्ली की शहरी खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों से पूरा होता है। इस शोध का ये भी आँकलन है कि भोजन के लिए दूर के इलाकों पर निर्भरता के कारण दिल्ली वालों का पेट भरने के लिए भोजन की पैदावार से लेकर दिल्ली में ट्रांसपोर्ट के जरिये लाने तक का सारा प्रदूषण मिला लिया जाए तो सालाना लगभग 1 करोड़ टन ग्रीनहाउस गैस हवा में घोली जाती है।
इस पुस्तिका को पीडीएफ में पढने और डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें