शहरी कृषि नीति के मसौदे के लिए सार्वजनिक परामर्श
(दिल्ली में शहरी कृषि नीति पर कार्यदल और जन संसाधन केंद्र द्वारा आयोजित)
दिल्ली में शहरी खेती का एक समृद्ध इतिहास रहा है। शहरी खेती में शहर की किसी भी जगह पर किसी भी प्रकार का खाद्य उत्पादन, फूलों आदि की खेती, कम्पोस्टिंग आदि शामिल है और दिल्ली की स्थानीय खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने में शहरी खेती की हमेशा से ही एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। एक अन्य तरह से देखें तो यह सामान्य लोगों और समुदायों द्वारा रोजमर्रा के निर्वहन के तरीकों का एक हिस्सा रहा है। साथ ही, इसके जरिये वे विकास के जन-विरोधी और प्रकृति-विरोधी मॉडल के आतंक का भी प्रतिरोध करते हैं, जिसमें शहरीकरण अपनी पारिस्थितिक सीमाओं से परे चला गया है, आर्थिक वृद्धि ही सीमित लक्ष्य बन गया है, पर्यावरण को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से नष्ट किया जा रहा है, पूरा खाद्यतंत्र ही बहिष्करण पर आधारित हो गया है, आजीविका छीनी जा रही है, और हर तरह का शहरी तंत्र बार-बार ठप होने लगा है। इस संदर्भ में, शहरी योजना में शहरी खेती को शामिल करने को शहरों के लिए एक क्रांतिकारी प्रस्ताव के रूप में देखा जा रहा है जिसके जरिये शहरों को अधिक आत्मनिर्भर बनाने और शहरी खाद्य प्रणाली को अधिक लोकतांत्रिक और सहभागी बनाने के अवसर बन सकते हैं।
शहरी खेती की इस क्षमता को धीरे-धीरे स्वीकार किया जा रहा है, अब तो पहले से कहीं ज्यादा। विशेष रूप से कोविड से संबंधित लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद से, इस बात में में सार्वजनिक रुचि बढ़ी है कि अपने भोजन का कम से कम कुछ हिस्सा खुद उगाया जाए और खाद्य उत्पादन को स्थानीय बनाया जाए। जन संसाधन केंद्र के कार्यकर्ता-शोधकर्ता 2019 से दिल्ली में शहरी खेती के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन खेती और संबंधित प्रथाओं में लगे समुदायों के साथ मिलकर कर रहे हैं। पिछले ढाई वर्षों में, हमारे काम ने शहर में पहले से चल रही शहरी खेती की गतिविधियों में विविधता पर ध्यान लाया है और खेती करने वाले व्यक्तियों और समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों, अंतरालों और मुद्दों की पहचान की है। खेती की गतिविधियों में शामिल समुदायों के साथ हमारे काम और जुड़ाव ने हमें शहर की मौलिक रूप से परिवर्तनकारी दृष्टि की कल्पना करने के लिए प्रेरित किया है। हमारे अध्ययनों की प्रारंभिक, खंडित समझ भी हमें एक ऐसी दिल्ली की कल्पना करने का साहस प्रदान करती है जहाँ अधिक आत्मनिर्भरता है, जिसका पारिस्थितिक पदचिह्न कम है, और जहाँ एक मजबूत स्थानीय और क्षेत्रीय खाद्य प्रणाली है जो बहुराष्ट्रीय कॉर्पोरेट खाद्य श्रृंखलाओं के नियंत्रण से मुक्त है। हमें लगता है कि इस दृष्टि को और अधिक गंभीरता से लेने, इसे साकार करने की ओर बढ़ने और इसे दृश्यमान बनाने के लिए एक आंदोलन खड़ा करके इसे एक पूंजीवाद-विरोधी शहरी नीति के प्रमुख एजेंडा के रूप में प्राथमिकता देने का समय आ गया है।
हमारे शोध के दौरान, साथी नागरिकों और हितधारकों के साथ विभिन्न चर्चाओं ने हमें इस दृष्टि को साकार करने की दिशा में एक कदम के रूप में दिल्ली में शहरी खेती को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए एक राज्य स्तरीय नीति तैयार करने के लिए प्रेरित किया। नीति निर्माण प्रक्रिया को और अधिक जवाबदेह बनाने के लिए, जन संसाधन केंद्र ने दिल्ली में शहरी खेती नीति पर एक स्वैच्छिक कार्य समूह (WG-UAPD) का गठन किया, जिसका सामूहिक उद्देश्य दिल्ली के लिए नागरिक नेतृत्व वाली शहरी खेती नीति का मसौदा तैयार करना था। WG-UAPD के सदस्यों में विभिन्न नागरिक समाज संगठनों और विश्वविद्यालयों के शोधकर्ता और संगठनकर्ता शामिल थे। डब्ल्यूजी के भीतर चर्चा और किसानों और अन्य हितधारकों के साथ सामुदायिक परामर्श के बाद, दिल्ली के लिए एक शहरी खेती नीति का नागरिक मसौदा है। इस नीति का उद्देश्य दिल्ली की मौजूदा और संभावित शहरी खेती पद्धतियों को पहचानने और उससे जुड़े महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करना है।
हम आपको ऊपर उल्लिखित नीति के मसौदे पर एक प्रस्तुति और सार्वजनिक परामर्श के लिए सादर आमंत्रित करते हैं। सत्र हमारे द्वारा तैयार किए गए प्रारंभिक मसौदे पर सुझावों और विचारों के खुले आदान-प्रदान के लिए है। हम एक मजबूत नीति बनाने के लिए सुझाव और प्रतिक्रिया चाहते हैं जिसे राज्य सरकार द्वारा अपनाये जाने के लिए दबाव बन सके। हम विशेष रूप से कृषि और खाद्य उत्पादक समुदायों (किसानों, मछुआरों, पशु पालन समुदायों, छत और रसोई के माली सहित), शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, नागरिक समाज संगठनों, सामाजिक आंदोलन समूहों, आरडब्ल्यूए प्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों और निर्वाचित प्रतिनिधियों को भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं।
परामर्श में दिल्ली में शहरी कृषि की स्थिति (हमारे राज्य-व्यापी सर्वेक्षण से कुछ प्रारंभिक निष्कर्षों सहित) पर जन संसाधन केंद्र टीम द्वारा प्रस्तुतियाँ होंगी, इसके बाद दिल्ली में शहरी खेती के लिए नीति का नागरिक मसौदा और इसकी सिफारिशों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति होगी। उसके बाद हम ‘खुली चर्चा के एक घंटे’ के दौरान प्रतिभागियों के सुझाव और प्रतिक्रियायें सुनेंगे। सत्र के दौरान मिले महत्वपूर्ण सुझावों का सारांश देकर कार्यक्रम समाप्त होगा।
दनांक: 20 सतबं र 2022 (मगं लवार)
समय: दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक
सभा में शामिल होने के लिए कृपया लक्ष्य (+919811375367/lakshay@prcindia.in) से संपर्क करें
हमारे समय में यह एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है जिस पर सार्वजनिक विमर्श के लिए आपने मुझे भी आमंत्रित किया।
मैं पिछले 2 वर्ष से पी आर सी के वेबीनार में लगातार शामिल होकर अपनी जानकारी को बढ़ा रहा हूं।
आप देश और समाज के लिए जो काम कर रहे हैं वह बहुत
प्रशंसनीय है।
शहरी खेती पर चर्चा बहुत जरूरी है।
मेरा यह विचार है कि आने वाले समय में अपनी सुविधा के अनुसार ऐसे आयोजन हमें दिल्ली के बाद अन्य शहरों में करने पर ध्यान देना चाहिए।